23 मार्च 1931… भारतीय इतिहास का बलिदान दिवस. इस दिन देश के बड़े क्रांतिकारियों ने अपने जान की आहूति देश की आजादी के लिेए दी थी. भगत सिंह,...
23 मार्च 1931… भारतीय इतिहास का बलिदान दिवस. इस दिन देश के बड़े क्रांतिकारियों ने अपने जान की आहूति देश की आजादी के लिेए दी थी. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु देश के लिए फांसी पर झूल गए. हालांकि शहीदों पर राजनेता अपना-अपना हक जताते हैं लेकिन आज तक सरकारी दस्तावेजों में इन तीनों को शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सका है.
देश में क्रांति को जन्म देने में जितना बलिदान भगत सिंह का था उतना ही उनके साथ फांसी पर लटके सुखदेव और राजगुरु का भी. जानते हैं इनके बारें में कुछ खास बात
ब्राह्मण परिवार से थे राजगुरु
राजगुरु का पुरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था. उनका जन्म महाराष्ट्र के खेड़ गांव में 1908 में हुआ था. होश संभालने के बाद से ही वो अंग्रेजों के सितम देखते आए थे, जिसके कारण उनमें प्रतिरोध की चिंगारी बचपन से ही थी.
राजगुरु का निशाना कभी नहीं चूकता था
राजगुरु तीर-कमान, कुश्ती और निशानेबाजी में दक्ष थे. इन खेलों में दक्षता उनके क्रांतिकारी जीवन में बहुत काम आई. जब राजगुरु चंद्रशेखर आजाद से मिले थे तो राजगुरु की प्रतिभा से आजाद बहुत प्रभावित हुए और उन्हें निशानेबाजी की ट्रैनिंग देने लगे. जल्द ही राजगुरु एक कुशल निशानेबाज बन गए. उनका निशाना कभी नहीं चूकता था.
ज्योतिष ने की थी भविष्यवाणी
बचपन में जब पंडित ने राजगुरु की कुंडली बनाई तो उसने राजगुरु की ग्रह दिशा को देखते हुए भविष्यवाणी की, यह बालक बहुत कम उम्र में ही कुछ ऐसा कार्य करेगा जिससे इसका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. ज्योतिष की ये भविष्य वाणी सत्य सिद्ध हुई.
उग्र आंदोलनों में विश्वास
राजगुरु के अनुसार महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा रहे अहिंसावादी आंदोलनों की तुलना में ब्रिटिश राज के खिलाफ चलाये जा रहे रहे उग्र आंदोलन ज्यादा प्रभावशाली साबित होते थे.
सुखदेव
सुखदेव-भगत सिंह ने साथ रखी थी क्रांति की बुनियाद
सुखदेव थापर, भगत सिंह के साथ ‘लाहौर नेशनल कॉलेज’ के छात्र थे. दोनों ही लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए. दिल दुखाने वाली बात यह है कि आज तक इस महान शहीद का कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं बना.
जलियावाला बाग हत्याकांड का बड़ा असर
सुखदेव की उम्र जब महज 12 साल थी तबजलियांवाला बाग़ में भीषण नरसंहार हुआ. पूरे देश मे जबर्दस्त गुस्सा और आक्रोश था. सुखदेव के मन पर भी इस घटना का बड़ा गहरा असर हुआ था.
नौजवान भारत सभा का गठन
सुखदेव ने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र और भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था.
लाला लाजपत राय की मौत का बदला
सुखदेव ने लाला लाजपत राय की मौत का बदल लेने के लिए अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी साण्डर्स की हत्या की योजना रची थी. जिसे 17 दिसम्बर, 1928 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने अंजाम दिया था.
शहादत को सलाम
सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरू को एक साथ फांसी की संजा हुई थी. 23 मार्च 1931 के दिन तीनों को लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी पर लटका दिया गया.
यह एक संयोग ही है कि तीनों अमर शहीद 1 साल (1907-1908) के भीतर ही पैदा हुए और एक ही दिन एक साथ शहादत हासिल की
COMMENTS